बंदउँ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि। महामोह तम पुंज जासु बचन रबिकर निकर।। भवार्थ : गुरु को नारायण का रूप माना गया हैं। हमेशा हमलोग अपने गुरु के चरण कमलों की वंदना करते हैं।ऐसा कहा जाता है, कि सूरज के उगने से फैला सारा अँधेरा नष्ट हो जाता हैं। इसी तरह गुरु हमारे मोहरूपी सभी अंधकार को ख़त्म …